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Showing posts from October, 2017

समाज में जिन बातों, वंश, भाषा, पेशा, क्षेत्र, रंग आदि के आधार पर ऊच नीच और अन्याय को बढ़ावा मिलता है इस्लाम ने सब को ढाह दिया है :- मौलाना अब्दुल हमीद नोमानी

20 अक्टूबर 2017 को मौलाना आजाद यूनिवर्सिटी जोधपुर में इंस्टिट्यूट ऑफ ऑब्जेक्टिव स्टडीज ( आइओएस ) और मारवाड़ी मुस्लिम वेलफेयर सोसाइटी के तत्वावधान में समानता, न्याय पर आयोजित सीमिनार में ऑल इंडिया यूनाइटेड मुस्लिम मोर्चा व मुशावरत के जनरल सेक्रेटरी मौलाना अब्दुल हमीद नोमानी ने भारतीय सन्दर्भ में समानता, न्याय मुद्दे पर चर्चा करते हुए कहा कि उस पर गम्भीरता से सोचने की जरूरत है, समाज में जिन बातों, वंश, भाषा, पेशा, क्षेत्र, रंग आदि के आधार पर ऊच नीच और अन्याय को बढ़ावा  मिलता है इस्लाम ने सब को ढाह दिया है. व्यावहारिक रूप से केवल इस्लाम ही समानता तक पहुंच पाया हे जैसा कि स्वामी विवेकानंद ने कहा है, जब तक हम मूल आपत्ति को समझ कर चर्चा नहीं करेंगे तब तक केवल कुछ पुरानी बातों को दोहराने से बात नहीं बनेगी . कुरआन और हदीस के मूल को सामने रखते हुए आज के संदर्भ में बात करना जरूरी हे. इस क्रम में जिजया, दासपरथा और विवाह के संबंध में इस्लामी शरीयत के हवाले से जो बात कही जाती हे उस की सही ब्याखया की आवश्यकता है क्योंकि कि इन ही 3 मुद्दे को लेकर पश्चिमी विद्वानों और हिन्दुत्व वादी लेखकों ने आ...

लिखने -बोलने की आज़ादी पर अंकुश व कांचा इलैया का दर्द :- इंजीनियर अफ्फान नोमानी

यह हमारे समाज की कड़वी सच्चाई है कि हम असहिष्णुता के प्रति भी बहुत सहिष्णु हो गए है। जब कुछ लोग -जो अकसर अल्पसंख्यक समाज के सदस्य होते हैं - संगठित विरोधियों के हमले का शिकार होते है तो उन्हें हमारे समर्थन की जरूरत होती है। अभी ऐसा नहीं हो रहा है। और पहले भी कभी पर्याप्त रूप से ऐसा नहीं हुआ। जिसका ताजा उदाहरण है 65 वर्षीय मशहूर लेखक व दलित चिंतक प्रोफेसर कांचा  इलैया शेफर्ड । कांचा इलैया शेफर्ड की पुस्‍तक पोस्‍ट-हिंदू इंडिया (2009) के कुछ अध्‍याय एक प्रकाशक द्वारा तेलुगु में पुस्तिकाकार दोबारा प्रकाशित किए जाने के बाद  आर्य वैश्‍य समुदाय के कुछ लोगों की ओर से लगातार जान की धमकी, अपशब्‍द और निंदा झेलनी पड़ रही है।  मैं हैदराबाद के स्थानीय अखबारों में आन्ध्रा व तेलन्गना के विभिन्न शहरों में  वैश्य व आर्य समाज  द्वारा कांचा इलैया शेफर्ड  की गाड़ी पर हमले व विरोध प्रदर्शन की खबरें प्रतिदिन पढ़ रहा हूँ लेकिन अफसोस  कि राष्ट्रीय  मीडिया के लिए यह कोई बड़ी खबर व मुद्दा नहीं और न ही इस मुद्दों पर चैनल पर कोई बहस, नफरत के खिलाफ आवाज उठाने वाले बुद...