अमरेश मिश्रा / अफ्फान नोमानी एक इतिहासकार के रूप में, मैंने हमेशा कोरेगांव के लड़ाई का जश्न एक समर्थक औपनिवेशिक मामले के रूप में पाया। फिर भी, मैं घटना को एक उत्सव मनाने के लिए दलित कार्यकर्ताओं को दोष देने में सक्षम नहीं हूं। तीसरे एंग्लो-मराठा युद्ध के दौरान, 1 जनवरी 1818 को वास्तव में क्या हुआ था, इसको लेकर एक अच्छे पढ़ें-लिखे जानकार व्यक्ति भी अनजान हैं। तीसरे एंग्लो-मराठा युद्ध दो चरम सीमाएं हैं - एक है जो कोरेगांव को पेशवाओं के खिलाफ 'महार वीरता ' की पुष्टि के रूप में देखता है। और दूसरा जो 'पेशवा वीरता' की कहानियों पर आधारित है जिसमें मराठों की सेना के 28,000 सैनिक ब्रिटिशों की लड़ाई में मारे गए थे! क्या आप संभाजी भिडे और एकबोटे के बारे में जानते हैं? आरएसएस-बीजेपी के दो लोगों, संभाजी भिडे और एकबोटे की भूमिका को अगर आप जानेंगे तो काफी आश्चर्यचकित होगा, जो अभी सबके सामने जगजाहिर हुआ है। भूतपूर्व में हुए विभिन्न समारोह में भिडे और एकबोटे दलित हितैषी दिखने व सम्प्रदायिक सद्भाव को बिगाड़ने के लिए ब्राह्मण व मुस्लिमों के खिलाफ नफरत की बाज़ार गर्म किया कर...