नाम तो सुना होगा पनसारे, दाभोलकर, कलबुर्गी, गौरी लंकेश, देवजी महेश्वरी ये वह नाम है जिसे लिखने बोलने की वजह से मौत के घाट उतार दिया गया था . इसी सूची में अन्य और भी नाम है. यह वही देश है जहाँ लोगों ने अपने हिसाब से अभिव्यक्ति की आज़ादी का मतलब निकाल लिया है. मतलब निकालने वालों में 90% उन पार्टी और विचारधारा के लोग है जो उन तमाम स्वतंत्र लिखने बोलने वालों की हत्या पर अपने कार्यालय में बैठ कर चाय की चुस्की ले रहे थे. अभिव्यक्ति की आज़ादी खतरे में नहीं थी. इसी देश में मेरे रिकॉर्ड में मौजूद 113 लोगों की मॉबलिंचिंग हुई. धर्म जात से जोड़कर न जाने कितनी कहानी को जोड़ा गया. 2014 के बाद देश में विभिन्न समुदाय के बीच विभिन्न संवेदनशील मुद्दों को हवा देकर नफरत का बाजार तैयार किया गया. और इस बाजार को तैयार करने में मुख्य भूमिका अदा किया गोदी मिडिया ने. जिसमें प्रमुख नाम है अर्नब गोस्वामी का. हालाँकि हम्माम में सब नंगे है. लेकिन अर्नब गोस्वामी ने पत्रकारिता के नाम पर ताबड़तोड़ चाटुकारिता कर सूची में प्रथम नाम दर्ज करने में कामयाब हो गए. दरअसल अर्नब गोस्वामी के लिए विचारधारा से कई ज़्याद...