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Showing posts from November, 2020

अचानक चाय में तूफ़ानी क्यों ? :- अफ्फ़ान नोमानी

  नाम तो सुना होगा पनसारे, दाभोलकर, कलबुर्गी, गौरी लंकेश, देवजी महेश्वरी ये वह नाम है जिसे लिखने बोलने की वजह से मौत के घाट उतार दिया गया था . इसी सूची में अन्य और भी नाम है. यह वही देश है जहाँ लोगों ने अपने हिसाब से अभिव्यक्ति की आज़ादी का मतलब निकाल लिया है. मतलब निकालने वालों में 90% उन पार्टी और विचारधारा के लोग है जो उन तमाम स्वतंत्र लिखने बोलने वालों की हत्या पर अपने कार्यालय में बैठ कर चाय की चुस्की ले रहे थे. अभिव्यक्ति की आज़ादी खतरे में नहीं थी. इसी देश में मेरे रिकॉर्ड में मौजूद 113 लोगों की मॉबलिंचिंग हुई. धर्म जात से जोड़कर न जाने कितनी कहानी को जोड़ा गया.  2014 के बाद देश में विभिन्न समुदाय के बीच विभिन्न संवेदनशील मुद्दों को हवा देकर नफरत का बाजार तैयार किया गया. और इस बाजार को तैयार करने में मुख्य भूमिका अदा किया गोदी मिडिया ने. जिसमें प्रमुख नाम है अर्नब गोस्वामी का. हालाँकि हम्माम में सब नंगे है. लेकिन अर्नब गोस्वामी ने पत्रकारिता के नाम पर ताबड़तोड़ चाटुकारिता कर सूची में प्रथम नाम दर्ज करने में कामयाब हो गए.  दरअसल अर्नब गोस्वामी के लिए विचारधारा से कई ज़्याद...

पूर्व आईपीएस, वैज्ञानिक, स्कॉलर, पत्रकार व समाजिक कार्यकर्ता ने फैसल खान की रिहाई की मांग की

नई दिल्ली ( प्रेस विज्ञप्ति ) 3 नवंबर 2020  सीमान्त गांधी कहे जाने वाले खान अब्दुल गफ्फार खान के खुदाई ख़िदमतगार संस्था को पुनर जनम देने वाले फैसल खान  की गिरप्तारी को पूर्व आईपीएस, वैज्ञानिक, स्कॉलर पत्रकार व समाजिक कार्यकर्ता ने गलत बताया और जल्द से जल्द रिहा करने की मांग की.  खुदाई ख़िदमतगार संस्था के प्रवक्ता पवन यादव ने कहा की खुदाई ख़िदमतगार के प्रमुख फैसल खान अपनी ब्रज की 84 कोसी परिक्रमा के दरम्यान एक मंदिर में थे। नमाज़ का वक्त हुआ तो आदरणीय पुजारी ने खुद फैसल खान को ठहरने का निमंत्रण व नमाज़ पढ़ने की इजाजत देते हुवे कहा की यह भी ख़ुदा का घर है, यहीं पढ़ लीजिये। लेकिन सोशल मीडिया पर साम्प्रदायिक ताकतों ने खान के खिलाफ़  मनगढ़त मुहीम चलाया और अन्तत: यूपी पुलिस दवारा भारतीय दंड संहिता की धाराएं 153ए, 295 व 505 के तहत फैसल खान सहित अन्य तीन पर मुकदमा दर्ज हुआ। 2 नवम्बर 2020 को करीब चार बजे उत्तर प्रदेश पुलिस उन्हें दिल्ली में गिरफ्तारी के बाद मथुरा ले गई।  हम हसरत मोहानी, गांधी, सीमांत गांधी और गणेश शंकर विद्यार्थी को मानने वाले हैं.  हम उनकी नस्ल हैं, मिट ...