अफ्फान नोमानी लेक्चरर व लेखक मैंने आज तक कभी भी बॉलीवुड अभिनेता व अभिनेत्री के बारे में कुछ नहीं लिखा है । वजह ज़्यादा दिलचस्पी नहीं है। मेरे नजदीक समाज व देश के लिए नए क्रीतिमान स्थापित करने वाले ही असल हीरों है। फ़िल्मी जगत के हीरों काल्पनिक जबकि वास्तविक दुनिया के हीरों असल है। शाहरुख़ खान भी उसी काल्पनिक दुनिया के हीरों में ही आते है। लेकिन एक इंसान का अपना देश व समाज होता है। देश में बसने वाले सभी उतना ही देशभक्त होता है जितना की देश का प्रधानमंत्री व राष्ट्रपति। वर्त्तमान में एक विशेष जाति धर्म के पहचान व नाम के साथ जिस तरह से पूरी कौम व मिल्लत को कटघरे में लाने की कोशिश हो रही है यक़ीनन इस मुल्क के लिए बहुत अफसोसजनक है। हालांकि शाहरुख खान जैसे किसी भी अभिनेता के लिए धर्म ज्यादा मायने नहीं रखता है । एक फ़िल्मी एक्टर के लिए धर्म की कसौटी को पाबंदी के साथ मानना मुश्किल है। लेकिन देश में मौजूद सांप्रदायिक तत्वों के लिए नफ़रत व सांप्रदायिक माहौल खड़ा करने के लिए शाहरुख खान जैसे मुस्लिम नाम ही काफी है। अगर व्यक्ति देश व दुनिय...