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Showing posts from September, 2017

मौलवी बाकीर : खंडित विश्वसनीयता के दौर में मीडिया कुछ उन्हें भी तो याद करे !- ध्रुव गुप्त

देश की मीडिया अभी अपनी विश्वसनीयता के सबसे बड़े संकट से गुज़र रही है। इलेक्ट्रोनिक मीडिया हो या प्रिंट मीडिया, उसपर सत्ता और पैसों का दबाव वैसा कभी नहीं रहा था जैसा आज है। वज़ह साफ़ है। चैनल और अखबार चलाना अब अब कोई मिशन या आन्दोलन नहीं। राष्ट्र के पास जब कोई मिशन, कोई आदर्श, क ोई गंतव्य नहीं तो मीडिया के पास भी क्या होगा ? 'जो बिकता है, वही दिखता है' के इस दौर में पत्रकारिता अब खालिस व्यवसाय है जिसपर किसी लक्ष्य के लिए समर्पित लोगों का नहीं, बड़े और छोटे व्यावसायिक घरानों का लगभग एकच्छत्र कब्ज़ा है। जो मुट्ठी भर लोग मीडिया को लोकचेतना का आईना बनाना चाहते हैं, उनके आगे साधनों के अभाव में प्रचार-प्रसार और वितरण का संकट है। कुल मिलाकर मीडिया का जो वर्तमान परिदृश्य है, उसमें दूर तक उम्मीद नज़र नहीं आती।   वैसे इस देश ने अभी पिछली सदी में आज़ादी की लड़ाई के दौरान अखबारों का स्वर्ण काल भी देखा है। देश की आज़ादी, समाज सुधार और जन-समस्याओं को समर्पित ऐसे अखबारों और पत्रकारों की सूची लंबी है। बेशक़ जनपक्षधर पत्रकारिता के इस दौर की शुरुआत उन्नीसवी सदी में उर्दू के एक अखबार से हुई थी। आमजन ...

रोहिंग्या मुसलमान का भारत में शरण व बौद्ध धर्म के साथ आतंकवाद शब्द का जुड़ना कितना तर्कसंगत ?

अफ्फान नोमानी  9  सितम्बर  2017    को देश के बड़े अंग्रेजी अखबार द हिन्दू के संपादकीय में रोहिंग्या मुसलमान व भारत के सन्दर्भ में लिखा है कि " रोहिंग्या नागरिकताहीन लोग है, उनके साथ व्यवहार करते समय भारत को इसका कारक होना चाहिए . भारत को अवश्य जबाव देना चाहिए कि यदि एक नागरिकताहीन लोग इधर-उधर भटक रहा है तो उन्हें कहाँ भेजने की उम्मीद है ? " हाल में द हिन्दू में ही शिव विश्वनाथन ने र ोहिंग्या मुसलमानों पर हुए अत्याचार की कड़ी निंदा करते हुए लिखा कि एक प्रखर पड़ोसी देश होने के नाते भारत को इस मसले पर गंभीरता से लेना चाहिए व शरण देने पर भारत सरकार को सोच विचार करना चाहिए . ऑल इंडिया यूनाइटेड मोर्चा व मजलिस -ए -मुशावरत के महासचिव मौलाना अब्दुल हमीद नोमानी ने News24 से बात करते हुए कहा कि इतिहास गवाह है कि विश्व में कहीं भी मजलूमो पर अत्याचार हुआ है तो भारत हमेशा उनके साथ खड़ा हुआ है व अपने खुले दिल से अपनाया है, गांधी- नेहरू की विदेश नीति व भूतकाल में बड़ी तादाद में पाकिस्तान, श्रीलंका, नेपाल, बंगलादेश व अन्य देशों से आये हिन्दू को शरण देने का हवाला देते हुए...

भारतीय विज्ञान पर भारी अंधविश्वास

अफ्फान नोमानी   मशहूर  वैज्ञानिक  , भुतपूर्व  राष्ट्रपति व मिसाइल मेन    डॉ ए. पी. जे. अब्दुल कलाम व भारतीय विज्ञान अनुसंधान परिषद से संबद्ध वैज्ञानिक व मशहूर शायर गौहर रज़ा ने विज्ञान के छेत्र में जो मिसाल कायम की है वो अद्भुत है . धार्मिक दृष्टिकोण से कई मामलों में मेरा  इन दोनों से मतभेद रहा है लेकिन वैज्ञानिक दृष्टिकोण से मैं इन दोनों से काफी प्रेरित हुआ हूँ . धार्मिक अंधविश्वास व वैज्ञानिक क्रियाकलापो पर गौहर रज़ा का निष्पक्ष सोच व बेबाक़ी का हम सभी विज्ञान व प्रौद्योगिकी  से ताल्लुक रखने वाले लोग कायल है . शायद यही वजह था कि हम सभी उस समय भी गौहर रजा के साथ खड़े थे जब कुछ मीडिया चैनलों ने रजा को ' देशद्रोह ' का ठप्पा लगा दिया था।  मैंने एक अंग्रेजी अख़बार हंस इंडिया  में गौहर रज़ा व इलेक्ट्रॉनिक मीडिया से सम्बंधित मीडिया की निष्पक्षता व खबर विश्लेषण पर आधारित कई महत्वपूर्ण  बिंदुओ पर रौशनी डालने की कोशिश की थी . इलेक्ट्रॉनिक मीडिया में बैठे दक्षिणपंथी संपादक के लिए गौहर रज़ा शुरू से आँखों में चूभ रहे थे जिनकी वजह ...