अगर आपको दुनिया के साथ कदम से कदम मिलाकर चलना है तो विज्ञान व प्रशासनिक सेवा मे अपनी उपस्थिति दर्ज कराएँ :- आइपीएस ऑफिसर खलील पाशा
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आइपीएस ऑफिसर खलील पाशा ने अपने भाषण में छात्रों को सम्बोधित करते हुए कहा कि - जीवन के दो ही पहलु है एक हार दुसरी जीत और दोनों एक दूसरे के बिना अधूरा है।
आप की जीत तभी होगी जब आप सफल होगे और सफल होने के लिए मेहनत जरुरी है। मनुष्य को सफल होने के लिए तेजस्वी होना आवश्यक नहीं है बल्कि लगन , परिश्रम व पुस्तक के प्रति दिलचस्पी महत्वपूर्ण है।
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आइपीएस ऑफिसर खलील पाशा व इंजीनियर अफ्फान नोमानी |
मै अपने विद्यार्थी जीवन में ज्यादा तेज होनहार नहीं था बल्कि एक मध्यम वर्गों के सूची में गिना -चुना जाता था लेकिन अपने मेहनत, लगन के बुनियाद पर आज आपके सामने एक आइपीएस ऑफिसर के हैसियत से मौजूद हु । मुझे खुशी होती है कि अफ्फान नोमानी जैसे नौजवान रिसर्च स्कालर शिक्षा के छेत्र में प्राचीन व वर्तमान मुसलमानों के हालात के संर्दभ में लिखते -बोलते रहते हैं । मुस्लिम समाज के लिए गर्व की बात है कि एन आर साइंस सेंटर -कॉम्प्रिहेंसिव एंड ऑब्जेक्टिव स्टडीज के प्लेटफार्म से मुस्लिम समाज के नौजवानों में विज्ञान व शोध के प्रति रुचि बढ़ाने व होशला अफजाइ का जमीनी स्तर पर काम कर रहे हैं। लेकिन मुहिम में मजबूती तभी संभव है जब हम सब मिलजुल कर समाज में फैली अशिक्षा जैसी बीमारी का मजबूती से मुकाबला करेंगे। अगर आपको दुनिया के साथ कदम से कदम मिलाकर चलना है तो विज्ञान व प्रशासनिक सेवा मे अपनी उपस्थिति दर्ज कराएँ । मायूसी समस्या का इलाज नहीं बल्कि बढ़ चढ़ कर हर छेत्र में हिस्सा ले।
कार्यक्रम में कार्यक्रम में एन आर साइंस सेंटर -कॉम्प्रिहेंसिव एंड ऑब्जेक्टिव स्टडीज के चेयरमैन रिसर्च स्कालर इंजीनियर अफ्फान नोमानी ने अपने रिसर्च रिपोर्ट का हवाला देते हुए कहा कि सच्चर कमीटी के रिपोर्ट के मुताबिक हिन्दुस्तान मे हर साल शिक्षण संस्थानों में कम एडमिशन लेने वाले समुदाय में मुसलमान है। 43% ऐसे मुस्लिम छात्र हैं जिसने कभी स्कूल केमप्स नहीं देखा। बीच में पढ़ाई छोड़ देने वालों में से सबसे ज्यादा छात्र मुस्लिम समुदाय से है। औसतन प्रत्येक साल भारत में 513 पीएचडी स्कालर में मुसलिम पीएचडी स्कालर की संख्या एक है।
युनेसको के ह्युयन डेवलपमेंट रिपोर्ट ( 2003 ) के मुताबिक औसतन पुरे विश्व में इस्राइल के नागरिक एक साल में 40 किताब पढ़ता हैं। यूरोपियन नागरिक 35 किताब जबकि मुस्लिम पुरे एक साल में एक या एक से कम किताबें पढ़ता।
कितनी हैरत की बात है कि जिस कोम के प्रवर्तक पर कुरआन की पहली आयत " इकरा यानी पढ़ो " अवतरित हुआ उस कोम की वर्तमान हालात इतनी दैनिय है कि पुरे विश्व में अध्ययन करने में सबसे निचले दर्जे में शुमार किया जा रहा है। इस रिपोर्ट से अन्दाज़ा लगाया जा सकता है कि प्राचीन काल में हमारा नाम उच्च श्रेणी में लिया जाता था और आज हम निचले पायदान पर है।
कितनी हैरत की बात है कि जिस कोम के प्रवर्तक पर कुरआन की पहली आयत " इकरा यानी पढ़ो " अवतरित हुआ उस कोम की वर्तमान हालात इतनी दैनिय है कि पुरे विश्व में अध्ययन करने में सबसे निचले दर्जे में शुमार किया जा रहा है। इस रिपोर्ट से अन्दाज़ा लगाया जा सकता है कि प्राचीन काल में हमारा नाम उच्च श्रेणी में लिया जाता था और आज हम निचले पायदान पर है।
इंजीनियर नोमानी ने आइपीएस ऑफिसर खलील पाशा से सहमती जताते हुए कहा कि बिलकुल हमें मायूस होने की जरूरत नहीं है बल्कि हम अपने मेहनत व लगन से अपनी प्रतिभा का छाप पुरी विश्व में दोबारा छोड़ सकते हैं इसके लिए जरुरी है कि मुस्लिम समाज खासकर शिक्षा पर ज्यादा जोर दे व मुस्लिम नौजवान ज्यादा से ज्यादा अपना वक्त शिक्षा हासिल करने में लगाए । हम सब को मालुम है कि हमारी आर्थिक स्थिति अन्य समुदाय से कम जरूर है लेकिन अगर हम संघर्ष कर शिक्षा ग्रहण कर ले तो सारी परेशानी दुर हो जाएगी।
इस मौके पर एनआरएससी के एमडी सेय्यद नजीर व अन्य अतिथिगण एडवोकेट अतिथिगण एडवोकेट जाकिर अली, सनराइज हाई स्कूल के प्रधानाचार्य मोहम्मद मोहसिन , अल-नुर शिक्षण संस्थान के ख्वाजा मोइज व फहाद खान ने भी अपने विचार व्यक्त किये व छात्रों को उज्ज्वल भविष्य की शुभकामनाएं दी।
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