मैनें पहली बार 2009 में विख्यात ब्रिटिश भौतिकविद् और कॉस्मोलॉजिस्ट स्टीफन हॉकिंग का नाम अपने विज्ञान शिक्षक से दशम वर्ग में सुना था । सन् 2010 में आईएससी के दौरान स्टीफन हॉकिंग की मशहूर किताब 'अ ब्रीफ हिस्ट्री ऑफ टाइम' पढ़ने का अवसर मिला। उस समय किताब में मौजूद सिद्धांत को समझना मेरे लिए आसान नहीं था लेकिन बी.टेक के दौरान दोबारा पढ़ा तो बहुत बातें समझ में आने लगी जिससे
मैं काफी प्रभावित हुआ और ब्रह्मांडीय रहस्य को जानने में रूचि बढ़ने लगी।
ब्रह्मांड के रहस्यों पर उनकी किताब 'अ ब्रीफ हिस्ट्री ऑफ टाइम' काफी चर्चित हुई थी. इस किताब में उन्होंने बिग बैंग सिद्धांत, ब्लैक होल, प्रकाश शंकु और ब्रह्मांड के विकास के बारे में नई खोजों का दावा कर दुनिया भर में तहलका मचा दिया था. शायद यही वजह रही है कि धार्मिक मतभेद के बावजूद स्टीफन हॉकिंग हमारे पसंदीदा वैज्ञानिकों में से एक रहे।
मोटर न्युरोन बीमारी से पीड़ित ( जिसमें शरीर काम करना बंद कर देता है ) होने के बावजूद अपने अद्भुत विचार : " ऊपर सितारों की तरफ देखो अपने पैरों के नीचे नहीं। जो देखते हो उसका मतलब जानने की कोशिश करो और आश्चर्य करो की क्या है जो ब्रह्माण्ड का अस्तित्व बनाये हुए है। उत्सुक रहो। चाहे ज़िन्दगी जितनी भी कठिन लगे, आप हमेशा कुछ न कुछ कर सकते हैं और सफल हो सकते हैं। " हॉकिंग अपने इसी जोश व जुनून के अधार पर पुरी दुनिया को लोहा मनवाया।
मैं काफी प्रभावित हुआ और ब्रह्मांडीय रहस्य को जानने में रूचि बढ़ने लगी।
ब्रह्मांड के रहस्यों पर उनकी किताब 'अ ब्रीफ हिस्ट्री ऑफ टाइम' काफी चर्चित हुई थी. इस किताब में उन्होंने बिग बैंग सिद्धांत, ब्लैक होल, प्रकाश शंकु और ब्रह्मांड के विकास के बारे में नई खोजों का दावा कर दुनिया भर में तहलका मचा दिया था. शायद यही वजह रही है कि धार्मिक मतभेद के बावजूद स्टीफन हॉकिंग हमारे पसंदीदा वैज्ञानिकों में से एक रहे।
मोटर न्युरोन बीमारी से पीड़ित ( जिसमें शरीर काम करना बंद कर देता है ) होने के बावजूद अपने अद्भुत विचार : " ऊपर सितारों की तरफ देखो अपने पैरों के नीचे नहीं। जो देखते हो उसका मतलब जानने की कोशिश करो और आश्चर्य करो की क्या है जो ब्रह्माण्ड का अस्तित्व बनाये हुए है। उत्सुक रहो। चाहे ज़िन्दगी जितनी भी कठिन लगे, आप हमेशा कुछ न कुछ कर सकते हैं और सफल हो सकते हैं। " हॉकिंग अपने इसी जोश व जुनून के अधार पर पुरी दुनिया को लोहा मनवाया।
स्टीफन हॉकिंग ने हॉकिंग रेडिएशन, पेनरोज-हॉकिंग थियोरम्स, बेकेस्टीन-हॉकिंग फॉर्मूला, हॉकिंग एनर्जी समेत कई अहम सिद्धांत दुनिया को दिए. उनके कार्य कई रिसर्च का आधार बने. स्टीफन हॉकिंग ने ब्लैक होल और बिग बैंग सिद्धांत को समझाने में अहम योगदान दिया है.
स्टीफन हॉकिंग आधुनिक युग के पहले वैज्ञानिकों में से एक थे जिन्होंने दुनिया को यह बताया कि " जमीन पर मनुष्य का कोई भविष्य नहीं है क्योंकि यह महज़ अब दो सौ से पांच सौ साल तक बचें रहेंगी। अगर मनुष्य को जीवित रहना है तो उसे दूसरे अन्य ग्रहों की खोज करनी चाहिए जहाँ मनुष्यों का जीवन यापन संभव हो सके " ।आज की तारीख़ में जिस तरह दुनिया में ग्लोबल वार्मिंग व ग्रीन हाउस गैस की मात्रा में बढ़ोतरी हुई है उसके आधार पर स्टीफन हॉकिंग के दिए सिद्धांत को सीधे तौर पर गलत नहीं ठहराया जा सकता है।
स्टीफन तार्किक दिमाग वाले व्यक्ति थे और उन्होंने स्पष्ट की रचना में कभी भगवान की मौजूदगी को नहीं माना। यहां तक कि वह अपने दिमाग को भी एक कंप्यूटर ही मानते थे। उनका कहना था कि जिस दिन इसके पुर्जे खराब हो जाएंगे, उस दिन मैं नहीं रहूंगा। इसके अलावा जीवन का कोई सच नहीं है और न ही पुर्नजन्म कोई तथ्य है।
स्टीफन खासतौर पर ब्रह्मांड के रहस्यों पर से पर्दा उठाने के लिए जाना जाता है। स्टीफन के पास 12 मानद डिग्रियां थीं और उनके काम के चलते उन्हें अमेरिका का सबसे उच्च नागरिक सम्मान भी दिया गया था। हॉकिंग का मानना था कि धर्म और विज्ञान के बीच एक बुनियादी अंतर है। धर्म जहां आस्था और विश्वास पर टिका है, वहीं विज्ञान ऑब्जर्वेशन (अवलोकन) और रीजन (कारण) पर चलता है।
ब्लैक होल और बिग बैंग सिद्धांत के आधार पर जो चौकाने वाले रहस्य दुनिया के सामने पेश किया उसे दुनिया कभी नहीं भुला सकती।
8 जनवरी, 1942 को इंग्लैंड के ऑक्सफोर्ड में पैदा हुए स्टीफन हॉकिंग ने अन्ततः 14 मार्च 2018 को 76 साल की उम्र में पूरी दुनिया को अलविदा कह गए।
स्टीफन हॉकिंग आधुनिक युग के पहले वैज्ञानिकों में से एक थे जिन्होंने दुनिया को यह बताया कि " जमीन पर मनुष्य का कोई भविष्य नहीं है क्योंकि यह महज़ अब दो सौ से पांच सौ साल तक बचें रहेंगी। अगर मनुष्य को जीवित रहना है तो उसे दूसरे अन्य ग्रहों की खोज करनी चाहिए जहाँ मनुष्यों का जीवन यापन संभव हो सके " ।आज की तारीख़ में जिस तरह दुनिया में ग्लोबल वार्मिंग व ग्रीन हाउस गैस की मात्रा में बढ़ोतरी हुई है उसके आधार पर स्टीफन हॉकिंग के दिए सिद्धांत को सीधे तौर पर गलत नहीं ठहराया जा सकता है।
स्टीफन तार्किक दिमाग वाले व्यक्ति थे और उन्होंने स्पष्ट की रचना में कभी भगवान की मौजूदगी को नहीं माना। यहां तक कि वह अपने दिमाग को भी एक कंप्यूटर ही मानते थे। उनका कहना था कि जिस दिन इसके पुर्जे खराब हो जाएंगे, उस दिन मैं नहीं रहूंगा। इसके अलावा जीवन का कोई सच नहीं है और न ही पुर्नजन्म कोई तथ्य है।
स्टीफन खासतौर पर ब्रह्मांड के रहस्यों पर से पर्दा उठाने के लिए जाना जाता है। स्टीफन के पास 12 मानद डिग्रियां थीं और उनके काम के चलते उन्हें अमेरिका का सबसे उच्च नागरिक सम्मान भी दिया गया था। हॉकिंग का मानना था कि धर्म और विज्ञान के बीच एक बुनियादी अंतर है। धर्म जहां आस्था और विश्वास पर टिका है, वहीं विज्ञान ऑब्जर्वेशन (अवलोकन) और रीजन (कारण) पर चलता है।
ब्लैक होल और बिग बैंग सिद्धांत के आधार पर जो चौकाने वाले रहस्य दुनिया के सामने पेश किया उसे दुनिया कभी नहीं भुला सकती।
8 जनवरी, 1942 को इंग्लैंड के ऑक्सफोर्ड में पैदा हुए स्टीफन हॉकिंग ने अन्ततः 14 मार्च 2018 को 76 साल की उम्र में पूरी दुनिया को अलविदा कह गए।
( लेखक इंजीनियर अफ्फान नोमानी , रिसर्च स्कॉलर व स्तम्भकार है )
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