मुझे याद है जब 16 दिसंबर 2012 निर्भया कान्ड के बाद देश में हाहाकार मच गया था लोग इन्साफ के लिए कश्मीर से कन्या कुमारी तक सड़कों पर उतर आये थे। सड़कों से लेकर संसद तक हिल गया था। बीजेपी के स्मृति ईरानी सहित अन्य नेतागण प्रत्येक बलात्कार आरोपी को फांसी की मांग कर रहे थे। लेकिन दुर्भाग्य की बात है कि जम्मू के कठुआ की एक असिफा नाम की आठ साल की मासूम नाबालिग लड़की की बलात्कार व हत्या पर बीजेपी के स्मृति ईरानी सहित बड़े-बड़े बीजेपी के दिग्गज व अन्य पार्टी के नेतागण चुप्पी साधे हुए हैं ।
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शान्ति जुलूस निकालते हैदराबाद के नौजवान |
असिफा कांड में कई सवाल व राज छुपे हुए है । आठ साल की मासूम नाबालिग लड़की असिफा का जम्मू के कठुआ के रसाना गांव से 10 जनवरी 2018 को लापता होती है, 12 जनवरी 2018 को लड़की के पिता लापता होने का केस दर्ज करता है और 17 जनवरी को बुरी तरह छति-ग्रस्त लाश सामने आता है। बात मीडिया में आग की तरह फैली और आला अधिकारी के अगुआई में जाँच पड़ताल के बाद दिल को दहला देने वाली खबरें सामने आई कि जो मासूम नाबालिग लड़की लापता थी उनकी 7 दिनों तक स्थानीय मन्दिरो में बलात्कार होता रहा जो एक भारत जैसे देश में सबसे पाक स्थल कहा जाने वाला मन्दिरो मे हुई ये घटना पूरी देश को शर्मसार कर दिया । इस मामले में 6 आरोपीयो की गिरफ्तारी हुई जिसमें स्पेशल पुलिस अधिकारी भी शामिल है . बाद में दो अन्य पुलिस अधिकारी को गिरफ्तार किया गया।
सवाल है कि जिन मन्दिरो मे एक मासूम नाबालिग बच्ची का सात दिनों तक बलात्कार होता रहा, आखिर मन्दिर के पुजारी कहाँ थे ?
क्या बलात्कार करने वाले पुलिस अधिकारी मन्दिर के पुजारी के सह पर कर रहे थे ? असिफा कांड में मन्दिर के पुजारी के शामिल होने की भी खबर आ रही है ?
तीन महीने बाद 9 अप्रैल 2018 को जम्मू कश्मीर के क्राइम ब्रांच पुलिस अधिकारी ने कोर्ट में चार्जशीट दर्ज किया तो बीजेपी के दो बड़े मंत्री लाल सिंह व चन्द्र प्रकाश गन्गा की अगुआई में आरएसएस से सम्बन्धित संगठन हिन्दू एकता मन्च खुलकर आरोपी के समर्थन में आ गए। देश के लिए इससे बड़ी शर्म की बात क्या हो सकती है कि बलात्कार आरोपी के समर्थन में पुजारी व सरकार के मंत्री आ जाए ।
निसंदेह असिफा कांड में सवालों के घेरे में हैं पुलिस , पुजारी व सरकार ।
सवाल है कि बीजेपी के स्मृति ईरानी सहित अन्य नेतागण कहाँ हैं जो 16 दिसंबर 2012 निर्भया कान्ड के बाद प्रत्येक बलात्कार आरोपी को फांसी की मांग कर थे ।
सवाल सिर्फ निर्भया, असिफा का नहीं बल्कि उन्नाव में बीजेपी नेताओं द्वारा पीडित उस लड़की का भी है जिन्हें न्याय के एवज़ में अपने पिता की मृत्यु मिलती है ।
सवाल है कि जिन मन्दिरो मे एक मासूम नाबालिग बच्ची का सात दिनों तक बलात्कार होता रहा, आखिर मन्दिर के पुजारी कहाँ थे ?
क्या बलात्कार करने वाले पुलिस अधिकारी मन्दिर के पुजारी के सह पर कर रहे थे ? असिफा कांड में मन्दिर के पुजारी के शामिल होने की भी खबर आ रही है ?
तीन महीने बाद 9 अप्रैल 2018 को जम्मू कश्मीर के क्राइम ब्रांच पुलिस अधिकारी ने कोर्ट में चार्जशीट दर्ज किया तो बीजेपी के दो बड़े मंत्री लाल सिंह व चन्द्र प्रकाश गन्गा की अगुआई में आरएसएस से सम्बन्धित संगठन हिन्दू एकता मन्च खुलकर आरोपी के समर्थन में आ गए। देश के लिए इससे बड़ी शर्म की बात क्या हो सकती है कि बलात्कार आरोपी के समर्थन में पुजारी व सरकार के मंत्री आ जाए ।
निसंदेह असिफा कांड में सवालों के घेरे में हैं पुलिस , पुजारी व सरकार ।
सवाल है कि बीजेपी के स्मृति ईरानी सहित अन्य नेतागण कहाँ हैं जो 16 दिसंबर 2012 निर्भया कान्ड के बाद प्रत्येक बलात्कार आरोपी को फांसी की मांग कर थे ।
सवाल सिर्फ निर्भया, असिफा का नहीं बल्कि उन्नाव में बीजेपी नेताओं द्वारा पीडित उस लड़की का भी है जिन्हें न्याय के एवज़ में अपने पिता की मृत्यु मिलती है ।
10 जनवरी 2017 को देश की राजधानी दिल्ली में बलात्कारियो ने एक किशोरी को रेप कर फुटपाथ पर मरने के लिए छोड़ दिया।
महिलाओं के सुरक्षा के मामले में हमेशा सवालों के घेरे में रहने वाले उत्तर प्रदेश के बागपत जिले में 4 हेवानो ने 6 जनवरी, 2017 को रेप करने करने की कोशिश की , जब पीडिता ने अपनी इज्जत बचाने के लिए विरोध किया तो सिरफिरो ने पीडिता के कान काट दिए।
4 जनवरी 2017 को 80 वर्षीय बूढ़ी औऱत के साथ निर्भया जैसी बर्बरतापूर्ण व्यवहार किया।
4 जनवरी 2017 को 80 वर्षीय बूढ़ी औऱत के साथ निर्भया जैसी बर्बरतापूर्ण व्यवहार किया।
4 जनवरी 2017 को बंगलौर में समाज को शर्मसार करने वाले वाला विडियो सामने आया जिसमें दो लड़के एक लड़कियों के साथ दुरव्यहार कर रहे है लेकिन प्रत्यक्षदर्शीयो में से कोई भी लड़की की मदद के लिए नहीं आया।
31 दिसंबर 2016 को बंगलौर में नए साल की जश्न मनाने निकली एक महिला के साथ शारीरिक दुरव्यहार किया गया , महिला चिल्लाती रही लेकिन प्रत्यक्षदर्शीयो में से कोई भी महिलाओं की मदद के लिए नहीं आया।
23 दिसंबर 2016 को तहज़ीब की नगरी कहीं जाने वाली लखनऊ में हैवानियत का खेल खेला गया जहाँ कुछ अज्ञात लोगों ने 7 साल की बच्ची के साथ रेप किया और उसे खुन के साथ लथपथ हालत में पुलिस थाने के बाहर छोड़ दिया गया।
सूची बहुत लंबी है लेकिन सवाल है कि
पुलिस, कानून व्यवस्था व तमाम नैतिकताओ के बावजूद महिलाएं आज भी देश में बलात्कार, हत्या व लूटपाट के जाल में बुरी तरह क्यों जकड़ी हुई हैं ? लड़कियों व महिलाओं के साथ होने वाले अपराध की बढ़ोतरी से उन के परिजनों में खौफ का माहौल क्यों बनाया जा रहा है ? महिलाओं के अपराध को लेकर आम-जनो से सिलेब्रटि तक भी खौफजदा क्यों हैं ?
भाजपा सरकार आने के बाद, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा महिलाओं के सुरक्षा के लिए कई अभियान चलाए गए , प्रचार-प्रसार में लाखों -करोड़ों खर्च किये लेकिन भारतीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो के मुताबिक साल 2015 में भारत में बलात्कार के कुल 34 हजार 651 मामले दर्ज किये गए। इसके अलावा महिलाओं से जुड़े अपराधों की संख्या 3 लाख 27 हजार रही।
नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो के अनुसार साल 2016 में भारत में बलात्कार के कुल 38,947 मामले दर्ज किये गए जिसमें देश के प्रमुख राज्य मध्य प्रदेश में 4,882 , उत्तर प्रदेश में 4,816 व महाराष्ट्र में 4,189 मामले दर्ज किये गए । देश में हर दिन औसतन 93 औरतें बलात्कारियो का शिकार बन रही हैं।
हैरानी की बात तो यह है कि बलात्कार करने वाले हैवान गुंडों के अलावा नेताओं में सबसे ज्यादा भाजपा नेताओं व साधुओं का है। जो के रिसर्च के आकड़ों में मौजूद है।
जब देश के हैवान गुंडों के साथ पुलिस अधिकारी, नेताओं व साधु- सन्तो का इस तरह से तीव्र गति से नैतिकता का पतन होगा तो यह देश के लिए चिंता का विषय है। यह देश के लिए बहुत बड़ी चुनौती है जिससे निपटान बहुत जरूरी है। देश के बुद्धिजीवी सहित सरकार इस चुनौती भरा समस्याओं से कैसे निपटेंगे , यह बड़ा अहम सवाल है ?
पुलिस, कानून व्यवस्था व तमाम नैतिकताओ के बावजूद महिलाएं आज भी देश में बलात्कार, हत्या व लूटपाट के जाल में बुरी तरह क्यों जकड़ी हुई हैं ? लड़कियों व महिलाओं के साथ होने वाले अपराध की बढ़ोतरी से उन के परिजनों में खौफ का माहौल क्यों बनाया जा रहा है ? महिलाओं के अपराध को लेकर आम-जनो से सिलेब्रटि तक भी खौफजदा क्यों हैं ?
भाजपा सरकार आने के बाद, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा महिलाओं के सुरक्षा के लिए कई अभियान चलाए गए , प्रचार-प्रसार में लाखों -करोड़ों खर्च किये लेकिन भारतीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो के मुताबिक साल 2015 में भारत में बलात्कार के कुल 34 हजार 651 मामले दर्ज किये गए। इसके अलावा महिलाओं से जुड़े अपराधों की संख्या 3 लाख 27 हजार रही।
नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो के अनुसार साल 2016 में भारत में बलात्कार के कुल 38,947 मामले दर्ज किये गए जिसमें देश के प्रमुख राज्य मध्य प्रदेश में 4,882 , उत्तर प्रदेश में 4,816 व महाराष्ट्र में 4,189 मामले दर्ज किये गए । देश में हर दिन औसतन 93 औरतें बलात्कारियो का शिकार बन रही हैं।
हैरानी की बात तो यह है कि बलात्कार करने वाले हैवान गुंडों के अलावा नेताओं में सबसे ज्यादा भाजपा नेताओं व साधुओं का है। जो के रिसर्च के आकड़ों में मौजूद है।
जब देश के हैवान गुंडों के साथ पुलिस अधिकारी, नेताओं व साधु- सन्तो का इस तरह से तीव्र गति से नैतिकता का पतन होगा तो यह देश के लिए चिंता का विषय है। यह देश के लिए बहुत बड़ी चुनौती है जिससे निपटान बहुत जरूरी है। देश के बुद्धिजीवी सहित सरकार इस चुनौती भरा समस्याओं से कैसे निपटेंगे , यह बड़ा अहम सवाल है ?
लेखक अफ्फान नोमानी, रिसर्च स्कालर व स्तम्भकार है।
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