28 अक्टूबर 2020 ( गोड्डा ) - झारखंड के गोड्डा ज़िले के 23 वर्षीय हाफ़िज़ इमरान ने एक मिसाल कायम कर दिया है. मध्यम वर्ग में पले बड़े हाफ़िज़ इमरान ने पढ़ाई के दौरान कई कठिनाईयों का सामना किया. मुश्किल हालात के मद्देनज़र ही सोच लिया था की पढ़ाई कर हम भी गरीब व यतीम बच्चों को मुफ्त में खाना व तालीम देने का ज़िम्मेदारी उठायेंगे. आज इस्लामिआ मारिफुल कुरआन नामक इदारा कायम कर अपने सपने को सच कर दिखाया. इस्लामिआ मारिफुल कुरआन हैदराबाद के लंगर हाउस में कायम किया है जहाँ गरीब बच्चों को दीनी व दुनयावी तालीम देने के साथ रहने सहने का भी व्यवस्था है. इस इदारे में ज्यादातर बच्चे यूपी बिहार झारखंड के है. जहाँ सभी बच्चे कई शिक्षकों के निगरानी में रहते है. जो लोग अपने बच्चों को इस इदारे में भेजना चाहते है वैसे लोग इस नंबर ( 8210250669/8019524209 ) से संपर्क कर सकते है. और वैसे हज़रात जो इस काम में मदद करना चाहते है हाफ़िज़ इमरान से संपर्क कर मदद कर सकते है.
11 अप्रैल 2019 को बेगुसराय पर लिखे लेख के 17 दिन बाद यह मेरा दुसरा विश्लेषण है . आज से 17 दिन पहले बेगूसराय का माहौल अलग था जब कुछ जाने माने विश्लेषकों का विश्लेषण 2014 के चुनाव व जाति पर आधारित था जिसमें कन्हैया को तीसरे नंबर का उम्मीदवार बताया गया था लेकिन अब माहौल कुछ अलग है , सर्वप्रथम कन्हैया ने हर वर्ग के युवाओं व कुछ राजनीतिक समझ रखने वाले को लेकर जिला व प्रखन्ड स्तर पर 100-100 का समूह बनाकर डोर टु डोर कम्पेन करने का पहला प्लान बनाकर बेगूसराय के भूमिहार, मुस्लिम, दलित व यादव जाति के मिथक तोड़ने का पहला प्रयास किया । कन्हैया ने खुद व अपने समर्थकों को जनाब तनवीर हसन साहब पर निजी टिप्पणी करने से परहेज कर लगातार भाजपा पर प्रहार किया जिसकी वजह से मुसलिम पक्षों का झुकाव बढ़ने लगा जिसमें शिक्षक व युवा वर्गों व का समर्थन मिलना शुरू हुआ । वर्तमान में बेगूसराय के मुस्लिम कन्हैया व तनवीर हसन में बटे हुए। तनवीर हसन के लिए बाहर से आये समर्थकों ने मुस्लिम लोबि का हव्वा कुछ ज्यादा ही खड़ा कर दिया जिससे अन्य समुदाय का आकर्षण घट गया। 2014 के चुनाव में तनवीर हसन को मुस्लिम समुदाय का पुरा व या...
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