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Showing posts from April, 2019

बेगूसराय पर अन्तिम विश्लेषण: जनता का रुख किस ओर ? :- अफ्फान नोमानी

11 अप्रैल 2019 को बेगुसराय पर लिखे लेख के 17 दिन बाद यह मेरा दुसरा विश्लेषण है . आज से 17 दिन पहले बेगूसराय का माहौल अलग था जब कुछ जाने माने विश्लेषकों का विश्लेषण 2014 के चुनाव व जाति पर आधारित था जिसमें कन्हैया को तीसरे नंबर का उम्मीदवार बताया गया था लेकिन अब माहौल कुछ अलग है , सर्वप्रथम कन्हैया ने हर वर्ग के युवाओं व कुछ राजनीतिक समझ रखने वाले को लेकर जिला व प्रखन्ड स्तर पर 100-100 का समूह बनाकर डोर टु डोर कम्पेन करने का पहला प्लान बनाकर बेगूसराय के भूमिहार, मुस्लिम, दलित व यादव जाति के मिथक तोड़ने का पहला प्रयास किया । कन्हैया ने खुद व अपने समर्थकों को जनाब तनवीर हसन साहब पर निजी टिप्पणी करने से परहेज कर लगातार भाजपा पर प्रहार किया जिसकी वजह से मुसलिम पक्षों का झुकाव बढ़ने लगा जिसमें शिक्षक व युवा वर्गों व का समर्थन मिलना शुरू हुआ । वर्तमान में बेगूसराय के मुस्लिम कन्हैया व तनवीर हसन में बटे हुए। तनवीर हसन के लिए बाहर से आये समर्थकों ने मुस्लिम लोबि का हव्वा कुछ ज्यादा ही खड़ा कर दिया जिससे अन्य समुदाय का आकर्षण घट गया। 2014 के चुनाव में तनवीर हसन को मुस्लिम समुदाय का पुरा व या...

युवाओं व गरीब- मजलूमों की आवाज है कन्हैया कुमार : इंजीनियर अफ्फान नोमानी

इंजीनियर अफ्फान नोमानी             कन्हैया कुमार शाहीन एजुकेशनल एन्ड रिसर्च फाउंडेशन के रिसर्च स्कालर व कॉम्प्रिहेंसिव फिजिकल साइंस के युवा लेखक इंजीनियर अफ्फान नोमानी ने कहा कि धर्म के आधार पर वैचारिक दृष्टिकोण से कन्हैया कुमार से आप सहमत व असहमत हो सकते है, यह लोकतांत्रिक व्यवस्था के संदर्भ में सही भी है और इसमें किसी को दिक्कत नहीं है लेकिन धर्म व जाति के आधार पर किसी उम्मीदवार का चुनाव करना यह असंवैधानिक है।  वर्तमान में देश जिस मुश्किल परिस्थितियों से गुजर रहा है - जहाँ मोब लिंचिंग आम होता जा रहा है, गरीब- मजलूम की आवाज़ को दबाया जा रहा है, स्वतंत्र लिखने- बोलने वालों पर अन्कुश व भारतीय संविधान प्रणाली पर मनुवादी व्यवस्था को थोपने का जो प्रयास चल रहा है ऐसे हालात में सम्प्रदायिक शक्तियों के कट्टरपंथी , मनुवादी व सन्घ के सामन्तवादी विचारधारा के खिलाफ लड़ने वाले निडर व बेबाक युवा नेता कन्हैया कुमार का संसद में होना बहुत जरूरी है। कन्हैया कुमार चुकी एक गरीब परिवार से आते है जिन्होंने गरीबी, बेरोजगारी को काफी करीब से देखा है।  संसद में शिक्...

हां मैं डॉक्टर कन्हैया कुमार हूं

नाज़िश हुमा क़ासमी  जी बेहतरीन वक्ता, गंभीर बातें करके अपनी बात जनता तक पहुंचाने वाला, निडर, बेबाक मिलनसार, हंसमुख, तीखी छाप छोड़ने वाला डॉक्टर कन्हैया कुमार हूं, हाँ मैं सरकार की नाकामी पर उससे प्रश्न करने वाला, सांप्रदायिकता से स्वतंत्रता का नारा देने वाला, भगवाइयों को भयभीत करने वाला, संविधान को बचाने के लिए प्रयास करने वाला, अल्पसंख्यक पर हो रहे अत्याचार के विरुद्ध आवाज उठाने वाला, सरकार की नाकामी गिनवाने वाला, "बिहार से तिहाड़ का लेखक", जवाहरलाल नेहरू यूनिवर्सिटी का पूर्व छात्र नेता और बेगूसराय से भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी आफ इंडिया का लोकसभा उम्मीदवार कन्हैया कुमार हूं। मेरा जन्म 1987 में बिहार के बेगूसराय जनपद के बरोनी गांव के निकट विधानसभा के बेहट ग्राम सीपीआई के गढ़ में हुआ। मैं भूमिहार जाति से संबंध रखने वाला, मेरे पिता का नाम जयशंकर सिंह है जो पैरालिसिस के मरीज हैं और लंबे समय से बिस्तर पर हैं। मेरी माता का नाम मीना देवी है जो आंगनवाड़ी में काम करती हैं और वहां से मिलने वाली थोड़ी आमदनी से इस काबिल बनाया कि आज मैं सैकड़ों नौजवानों के दिलों की आवा...