अफ्फान नोमानी लेक्चरर व लेखक मैंने आज तक कभी भी बॉलीवुड अभिनेता व अभिनेत्री के बारे में कुछ नहीं लिखा है । वजह ज़्यादा दिलचस्पी नहीं है। मेरे नजदीक समाज व देश के लिए नए क्रीतिमान स्थापित करने वाले ही असल हीरों है। फ़िल्मी जगत के हीरों काल्पनिक जबकि वास्तविक दुनिया के हीरों असल है। शाहरुख़ खान भी उसी काल्पनिक दुनिया के हीरों में ही आते है। लेकिन एक इंसान का अपना देश व समाज होता है। देश में बसने वाले सभी उतना ही देशभक्त होता है जितना की देश का प्रधानमंत्री व राष्ट्रपति। वर्त्तमान में एक विशेष जाति धर्म के पहचान व नाम के साथ जिस तरह से पूरी कौम व मिल्लत को कटघरे में लाने की कोशिश हो रही है यक़ीनन इस मुल्क के लिए बहुत अफसोसजनक है। हालांकि शाहरुख खान जैसे किसी भी अभिनेता के लिए धर्म ज्यादा मायने नहीं रखता है । एक फ़िल्मी एक्टर के लिए धर्म की कसौटी को पाबंदी के साथ मानना मुश्किल है। लेकिन देश में मौजूद सांप्रदायिक तत्वों के लिए नफ़रत व सांप्रदायिक माहौल खड़ा करने के लिए शाहरुख खान जैसे मुस्लिम नाम ही काफी है। अगर व्यक्ति देश व दुनिय...
ईद के मौके पर समाज की विधवा औरतें भी खुशियाँ मना सकें इसके लिए शाहीन एजुकेशनल एंड रिसर्च फाउंडेशन ( एसईआरएफ ) द्वार एक मुहीम चलाया गया. महागामा विधानसभा के विभिन्न गांव से एसईआरएफ ग्रुप महागामा मेहरमा बोआरीजोर ठाकुरगंगटी व हनवारा के सदस्यों ने एसईआरएफ के सेंट्रल टीम प्रमुख रिसर्च स्कॉलर इंजीनियर अफ्फ़ान नोमानी को 150 विधवा औरतों की सूची सौंपी. सोशल मीडिया पर चलाई गई मुहीम को समाज के कई लोगों ने सराहना की. ईद पर विधवाओं के लिए चलायें एसईआरएफ की मुहीम के साथ प्रखर वक्ता व लीडर ख़ालिद ख़लील भी आएं साथ और 50 विधवा औरतों के लिए अपनी तरफ से सबई और चीनी का इंतेज़ाम किया. एसईआरएफ टीम ने ख़ालिद ख़लील का शुक्रिया अदा किया. कुल 25 गांव के 25 सदस्यों ने ईद के शुभ अवसर पर 150 विधवा औरतों को कपड़ा सबई चीनी व अन्य खाद्य सामग्री वितरण किया. विधवा औरतों ने नम आँखों से एसईआरएफ सदस्यों को दुआएं दी. सोशल मीडिया से लेकर जमीनी स्तर पर एसईआरएफ सदस्यों ने विभिन्न गांव में मुहीम चला कर सूची तैयार किया जिसके परिणामस्वरूप आज उन तमाम विधवा औरतों के चेहरे पर मुस्कान ला कर शाहीन एजुकेशनल एंड रिसर्च फाउंडेशन ने समाज क...