Skip to main content

हामिद अंसारी जी आपने सिर्फ आधा सच बोला, पूरा सच यह है कि आज देश में ज्यादातर लोग बेचैन हैं, असुरक्षित हैं:- ध्रुव गुप्त

उपराष्ट्रपति  हामिद अंसारी की यह बात कि देश के अल्पसंख्यक मुसलमानों में बेचैनी और असुरक्षा की भावना व्याप्त है पूरी तरह गलत तो नहीं है, लेकिनउपराष्ट्रपति  पूरी तरह सच भी नहीं है। सिर्फ मुसलमान ही क्यों, देश के ज्यादातर लोग आज बेचैन और असुरक्षित हैं। कश्मीर में अल्पसंख्यक हिन्दू भी कुछ कम असुरक्षित नहीं हैं। उनमें से ज्यादातर तो पहले ही मार और भगा दिए गए थे। जो बच रहे हैं वे कितने सुरक्षित हैं, इसकी कल्पना की जा सकती है।

देश में धार्मिक कट्टरता और अंधविश्वास के खिलाफ़ लड़ते हुए जितने लोग मारे गए या मारे जा रहे हैं, क्या वे सभी मुसलमान है ? अपना अधिकार मांग रहे दलित भी मारे जा रहे हैं। देश की आधी आबादी कितनी सुरक्षित है ? देश की औरतों को बलात्कार के बाद सड़कों पर मारा जा रहा है, दहेज़ के लिए घरों में मारा जा रहा है और डायन या चोटीकटवा बताकर भीड़ द्वारा भी मारा जा रहा है। अपने देश के छोटे किसान क्या कम असुरक्षित हैं ? अभावों से जूझते और क़र्ज़ में डूबे सैकड़ों किसान हर साल आत्महत्या कर रहे हैं।
हिन्दुओं पर भी हुआ है जुल्म
देश में पुलिस ने कुछ निर्दोष मुसलमानों को आतंकी बताकर मारा या संदेह के आधार पर उनकी झूठी गिरफ्तारियां ज़रूर की है, लेकिन क्या देश में हिन्दुओं और दूसरे धर्म के मानने वालों की झूठी गिरफ्तारियां नहीं होती ? क्या हर साल सैकड़ों हिन्दू युवा भी अपराधी या नक्सली बता कर फ़र्ज़ी मुठभेड़ों में नहीं मार दिए जाते ? कुछ उन्मादी हिन्दू साधू- साध्वी-योगी देश का सांप्रदायिक माहौल ज़रूर बिगाड़ रहे हैं, लेकिन आए दिन मूर्खतापूर्ण फ़तवे ज़ारी करने और ऊटपटांग वक्तव्य देने वाले कुछ कट्टर ‘मौलवियों’ की भूमिका कुछ कम है ? धर्म और जाति से परे हटकर सोचें तो व्यवस्था और पूंजी से जुड़े मुट्ठी भर लोगों को छोड़कर ऐसे बहुत कम लोग हैं जो देश में खुद को सुरक्षित महसूस कर रहे हैं।
यह असुरक्षा हम सबकी साझा समस्या है जिससे सबको मिलकर ही लड़ना होगा। यह लड़ाई अगर आप धर्म और जाति को आधार बनाकर लड़ेंगे तो आप इस लड़ाई को विभाजित और कमज़ोर करेंगे। देश में हाल के वर्षों में सांप्रदायिक ताक़तें अगर मज़बूत हुई है तो इसमें बंटे, गैरज़िम्मेदार विपक्ष की सबसे बड़ी भूमिका है। देश पर उपस्थित खतरों से लड़ने के लिए आज एक समग्र और समन्वयवादी दृष्टिकोण और नेतृत्व की ज़रुरत है जो फिलहाल देश के किसी भी राजनेता या राजनीतिक दल में नहीं दिखता।
लंबे अरसे तक बड़े संवैधानिक पदों पर रहे हामिद अंसारी अगर इस देश में व्याप्त अराजकता को सिर्फ मुसलमानों की समस्या बता रहे हैं तो वस्तुतः वे देश के पांच-दस प्रतिशत सांप्रदायिक और उन्मादी लोगों के हाथ ही मज़बूत कर रहे हैं।

(लेखक पूर्व आईपीएस हैं ये उनके निजी विचार हैं)

Comments

Popular posts from this blog

बेगूसराय पर अन्तिम विश्लेषण: जनता का रुख किस ओर ? :- अफ्फान नोमानी

11 अप्रैल 2019 को बेगुसराय पर लिखे लेख के 17 दिन बाद यह मेरा दुसरा विश्लेषण है . आज से 17 दिन पहले बेगूसराय का माहौल अलग था जब कुछ जाने माने विश्लेषकों का विश्लेषण 2014 के चुनाव व जाति पर आधारित था जिसमें कन्हैया को तीसरे नंबर का उम्मीदवार बताया गया था लेकिन अब माहौल कुछ अलग है , सर्वप्रथम कन्हैया ने हर वर्ग के युवाओं व कुछ राजनीतिक समझ रखने वाले को लेकर जिला व प्रखन्ड स्तर पर 100-100 का समूह बनाकर डोर टु डोर कम्पेन करने का पहला प्लान बनाकर बेगूसराय के भूमिहार, मुस्लिम, दलित व यादव जाति के मिथक तोड़ने का पहला प्रयास किया । कन्हैया ने खुद व अपने समर्थकों को जनाब तनवीर हसन साहब पर निजी टिप्पणी करने से परहेज कर लगातार भाजपा पर प्रहार किया जिसकी वजह से मुसलिम पक्षों का झुकाव बढ़ने लगा जिसमें शिक्षक व युवा वर्गों व का समर्थन मिलना शुरू हुआ । वर्तमान में बेगूसराय के मुस्लिम कन्हैया व तनवीर हसन में बटे हुए। तनवीर हसन के लिए बाहर से आये समर्थकों ने मुस्लिम लोबि का हव्वा कुछ ज्यादा ही खड़ा कर दिया जिससे अन्य समुदाय का आकर्षण घट गया। 2014 के चुनाव में तनवीर हसन को मुस्लिम समुदाय का पुरा व या...

हैदराबाद: भाग्य लक्ष्मी मंदिर से भाग्यनगर तक कितना झूठ कितना सच ?

:-अफ्फान नोमानी मेरे पास डेक्कन इतिहास से जुड़े तीन किताबें हैं.  1. History of the Deccan, Author:- J.D.B. Gribble. 2. A Guide To The Heritage Of Hyderabad: The Natural and the Built, Author:- Madhu Vottery. 3. The Deodis of Hyderabad- a lost heritage, Author:- Rani Sharma.     डेक्कन इतिहास की ये क़िताब दक्षिण भारत में सबसे ज्यादा प्रमाणिक मानी जाती  हैं. भाग्य लक्ष्मी मंदिर नाम का कोई मंदिर इस इतिहास की क़िताब में मौजूद ही नहीं हैं. योगी आदित्यनाथ ने जिस मंदिर के नाम पर हैदराबाद का नाम बदलकर भाग्यनगर की बात की हैं वो मंदिर भाग्य लक्ष्मी मंदिर ही हैं जो अभी वर्त्तमान में चारमीनार के पूर्व में एक मीनार के कोने में मौजूद हैं. आज तेलंगाना बीजेपी के नेता जो भाग्यनगर की बात कर रहे है वो इस मंदिर के नाम पर ही कर रहे हैं  न की नवाब मुहम्मद कुली क़ुतुब शाह की पत्नी भाग्यवती के नाम पर. कुछ मीडिया संस्थानों ने नवाब मुहम्मद कुली क़ुतुब शाह की पत्नी भाग्यवती से ही जोड़कर स्टोरी तैयार किया जिसे लोगो ने बहुत शेयर किया. उर्दू नाम वाले कुछ लोगो ने अपनी दादी मानकर ख़ुशी में शेयर कि...

गांधी के हत्यारे व तिरंगे को पैरों तले रौंदने वालों के वंशज मदरसों से देशभक्ति होने के सबूत मांग रहे :- अफ्फान नोमानी

उत्तर प्रदेश की योगी सरकार द्वारा  मदरसों में स्वतंत्रता दिवस के उपलक्ष्य में होने वाले कार्यक्रमों की वीडियोग्राफी कराने के निर्देश जारी करना सरकार की तरफ से यह  पहला मौका जरूर है लेकिन आरएसएस व आरएसएस द्वारा समर्थित हिन्दू संगठनों द्वारा इस तरह के सवालात कई बार उठाया गया है जो कोई नई बात नहीं है लेकिन सबसे बड़ी दुर्भाग्य की बात तो यह है कि आज की तारीख में  भारतीय मुसलमानों व मदरसों की देशभक्ति  पर वही लोग सवाल उठा रहे हैं  जिनके पूर्वजों व संगठनों का भारत छोड़ो आंदोलन  व आजादी  की लड़ाई में कोई अहम भूमिका नहीं रहा है। ये वही लोग थे जिन्होंने 1948 में तिरंगा को पैरों तले रौंद दिया था।  स्वतंत्रता दिवस के मौके पर ख़ुशी का इज़हार  करते हुवे  अंजुमन इस्लाम कॉलेज की छात्राएं सिर्फ दो किताबें:-  पहला आरएसएस के दुसरे सरसंघचालक एम एस गोलवालकर की किताब " बंच ऑफ़ थॉट्स " आज़ादी के अठारह साल बाद 1966 में प्रकाशित हुवी , बाद के एडिशन में भी वही बाते है जो मेरे पास जनवरी 2011 का ताजा  एडिशन मौजूद है और दुसरा वर्तमान में 2017 में प्रका...